मंगलवार, 12 मार्च 2013

सुखी रहना चाहते हो तो भले कर्म करो : निरंकारी

बीना। सुख दीने सुख होत है दुख दीने दुख हो। अगर इंसान अपना भला चाहता है तो दूसरे के भले की कामना भगवान से करे। हर इंसान सुखी जीवन जीना चाहता है तो दूसरों को सुख देना सीखें। रविवार को उक्त उद्गार गांधी वार्ड स्थित निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग समारोह में दिल्ली से पधारे निरंकारी संत टीआर टंडन ने व्यक्त किए।

उन्होनें ने कहा कि माता पिता ने हमें सारी जिंदगी सब कुछ सिखाया हमारा भी फर्ज बनता है कि माता पिता की सेवा करें इनका सम्मान करें। संत ने कहा कि  इंसान को अभिमान छोड़कर ही परमात्मा की भक्ति करना चाहिए। उन्होनें कहा कि जैसे चीनी तो मीठी है पर कड़वी बुखार के कारण लगती है बुखार उतरने पर चीनी मीठी लगने लगती है ठीक वैसे ही आज इंसान को परमात्मा की भक्ति वाली बातें क्यों अच्छी नहीं लगती इसका कारण है इंसान में अभिमान जब अभिमान हटा जाता है तो परमात्मा की भक्ति अच्छी लगने लगती है। 

दिल्ली से आई कमलेश टंडन ने गीत की प्रस्तुति दी। बीना शाखा के अर्जुनसिंह नाहर ने संत श्री का स्वागत कर आभार व्यक्त किया। सत्संग समारोह में भगवानदास निरंकारी, नारायण प्रसाद कुशवाहा, श्रवण नाहर, बसंत निरंकारी, भीकमसिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर नंदलाल सुंदरानी, मुकेश निरंकारी, घनश्याम, महेश शर्मा, रमेश निरंकारी, प्रिया नागवानी, शोभा शर्मा, डोली निरंकारी सहित बड़ी संख्या में लोगों ने सत्संग में भाग लिया।


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